शोख़ नज़रों के इशारे हो गए
ख़ुशनुमा सारे नज़ारे हो गए
बादलों की क़ैद में है आसमाँ
आज हम फिर बेसहारे हो गए
इश्क़ हम पर इस क़दर तारी हुआ
हम समंदर हम कगारे हो गए
देखकर हर सिम्त फैली तीरगी
इंक़लाबी चाँद-तारे हो गए
शाइरी सबकी दुलारी क्या हुई
‘सारथी’ सबके दुलारे हो गए
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