0

ये दिल नादाँ है मेरी जान अक्सर भूल जाता है  - Saarthi Baidyanath

ये दिल नादाँ है मेरी जान अक्सर भूल जाता है
नहीं रखता है कुछ भी ध्यान अक्सर भूल जाता है

वही इन्सां बनाता है दिलों में इक जगह अपनी
किसी पर करके जो एहसान अक्सर भूल जाता है

तेरी कुछ आदतें इक बेवफ़ा से मिलती जुलती हैं
कि तू भी तोड़कर अरमान अक्सर भूल जाता है

निशानी ख़ानदानी है ज़मीं और ये पुराना घर
मगर ये आज का इन्सान अक्सर भूल जाता है

भरोसा टूट जाना है बड़े घर -द्वार से उसका
भिखारी देखकर दालान अक्सर भूल जाता है

ख़ुदा को याद करता है ग़रीब इंसान कुछ पाकर
मगर इस बात को धनवान अक्सर भूल जाता है

मोहब्बत का चलन ऐ 'सारथी' उसको सीखा देना
वो दिल को तोड़कर नादान अक्सर भूल जाता है

- Saarthi Baidyanath

Mohabbat Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Saarthi Baidyanath

As you were reading Shayari by Saarthi Baidyanath

Similar Writers

our suggestion based on Saarthi Baidyanath

Similar Moods

As you were reading Mohabbat Shayari