ये दिल नादाँ है मेरी जान अक्सर भूल जाता है
नहीं रखता है कुछ भी ध्यान अक्सर भूल जाता है
वही इन्सां बनाता है दिलों में इक जगह अपनी
किसी पर करके जो एहसान अक्सर भूल जाता है
तेरी कुछ आदतें इक बेवफ़ा से मिलती जुलती हैं
कि तू भी तोड़कर अरमान अक्सर भूल जाता है
निशानी ख़ानदानी है ज़मीं और ये पुराना घर
मगर ये आज का इन्सान अक्सर भूल जाता है
भरोसा टूट जाना है बड़े घर -द्वार से उसका
भिखारी देखकर दालान अक्सर भूल जाता है
ख़ुदा को याद करता है ग़रीब इंसान कुछ पाकर
मगर इस बात को धनवान अक्सर भूल जाता है
मोहब्बत का चलन ऐ 'सारथी' उसको सीखा देना
वो दिल को तोड़कर नादान अक्सर भूल जाता है
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