कर रहे हैं शोर इतना आप जिसके नाम का

  - Satyavan Satya

कर रहे हैं शोर इतना आप जिसके नाम का
जानते हैं सब वो है इंसान कितने काम का

आदमी का ख़ून जिसके लग चुका है मुँह मियाँ
ज़ाइक़ा उसको पता क्या उल्फ़तों के जाम का

तर-बतर हैं हैडलाइन ख़ून से अख़बार की
अब नहीं छपता है कॉलम इश्क़ के पैग़ाम का

क्या वो जाने आँख से कितना टपकता है लहू
शायरी जिसको लगे है काम है आराम का

कह रहे हैं आप चढ़ता शम्स जिसको अब यहाँ
वो हक़ीक़त में सितारा है उतरती शाम का

ख़ौफ़ क्या है साथ में हैं जब खड़े दैर-ओ-हरम
क़त्ल कीजे नाम ले अल्लाह कहीं पर राम का

'सत्य' तुमने आइना उसको दिखाया है अगर
फूटना है ठीकरा तुम पर हर इक इल्ज़ाम का

  - Satyavan Satya

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