इमारत है नहीं पक्की हमारे गाँव में यारो
मगर कुटिया है कुछ अच्छी हमारे गाँव में यारो
ज़रूरत ही नहीं लगती कि डालें इत्र कमरे में
महकती है सदा मिट्टी हमारे गाँव में यारो
हमारे यार मिलते हैं हमें पीपल के साए में
सभा चौपाल पर सजती हमारे गाँव में यारो
कमाने के लिए छूटा है मजबूरन हमारा घर
कमी वर्ना न कुछ भी थी हमारे गाँव में यारो
नए जीवन के रंगों का भले सूखा पड़ा है पर
मिलेगी प्रेम की नद्दी हमारे गाँव में यारो
छिपाकर मान मर्यादा रखे घूँघट के आड़े में
हैं ऐसी भी बहू बेटी हमारे गाँव में यारो
बरस बीते मगर बेटे न बोले बाप के आगे
है ज़िन्दा ये अदबकारी हमारे गाँव में यारो
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