नहीं था हसीं कुछ मुहब्बत से ज़्यादा

  - Shivam Rathore

नहीं था हसीं कुछ मुहब्बत से ज़्यादा
मगर अब नहीं ये ज़रूरत से ज़्यादा

नहीं जान पाए वो क़ीमत कभी भी
मिला प्यार जिनको ज़रुरत से ज्यादा

भरोसा अगर इक दफ़ा तोड़ डाला
टिकेगा नहीं घर मरम्मत से ज़्यादा

ये आँखें ये गेसू हैं शातिर लुटेरे
संभालो दिलों को अमानत से ज़्यादा

ज़माना है ऐसा कुचल देगा तुमको
अगर तुम चलोगे शराफ़त से ज़्यादा

  - Shivam Rathore

More by Shivam Rathore

As you were reading Shayari by Shivam Rathore

Similar Writers

our suggestion based on Shivam Rathore

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari