सिर्फ कपड़े न लाइए साहिब

  - Shivang Tiwari

सिर्फ कपड़े न लाइए साहिब
दिल भी थोड़ा सजाइए साहिब

जो गया भूल जाइए उसको
ख़्वाब दूजा सजाइए साहिब

रात गुज़री है दिन बनाने में
दिन में रातें बनाइए साहिब

थक गए ख़्वाब-ए-ज़ीस्त ढोने में
चाय पीते हैं आइए साहिब

गीला हो कर कहा ये तकिए ने
जो हुआ भूल जाइए साहिब

तब कहीं आएँगे नए पौधे
पहले ख़ुद को मिटाइए साहिब

क्या ज़लीलों की बात का लेना
छोड़िए मुस्कुराइए साहिब

क्या ख़बर साँप काम के निकलें
इनसे रिश्ता बनाइए साहिब

आए हक़ की तलाश में शैतान
इनको गीता पढ़ाइए साहिब

  - Shivang Tiwari

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