वही हैं पेड़ हम पर फल नहीं लगते
ज़मीं बंजर है जिन पर हल नहीं लगते
किया था छाँव हमनें जिस भी तुर्फ़ा पर
मुकम्मल था उसे बा'दल नहीं लगते
तिरे छोड़े हुए घर अब भी प्यासे हैं
बहुत कोशिश ब'अद भी नल नहीं लगते
कभी तो थे नहीं बेताब पागल सब
बचे होते जो तुझसे झल नहीं लगते
यक़ीनन हम बड़े ख़ुश थे तुझे पा कर
चले जाने से हम ख़ुश कल नहीं लगते
Read Full