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तुझे लिख्खूंगा इस तरह से मैं अपनी कहानी में - Shubham Seth

तुझे लिख्खूंगा इस तरह से मैं अपनी कहानी में
हो उम्दा क़ाफिया जैसे कोई मिसरा-ए-सानी में

बहुत गलती हुई हैं. भूल से मुझसे जवानी में
मगर अफ़सोस तो होगा न मुझको जिंदगानी में

निकलना नाव को लेकर है अब गहरे समन्दर में
ज़रा हम देख लें कितनी बची है आग पानी में

भला किसने कहा तुमसे कि गुल खिलते नहीं शब में
कभी डालो ज़रा तुम चांदनी को रातरानी में

खुदा इससे ज़ियादा भी मुहब्बत क्या मुक़म्मल हो
ज़नाज़े में लेटा है प्यार मेरा शेरवानी में

- Shubham Seth

Chaand Shayari

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