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इस तरह से तर्जुमानी कर गया  - Subhan Asad

इस तरह से तर्जुमानी कर गया
मेरे अश्कों को वो पानी कर गया

उस ने चेहरे से हटा डाला नक़ाब
और मेरी ग़ज़लें पुरानी कर गया

रख गया वो अपने कपड़े सूखने
धूप भी कितनी सुहानी कर गया

भूल जाने की क़सम देना तेरा
याद आने की निशानी कर गया

दो घड़ी को पास आया था कोई
दिल पे बरसों हुक्मरानी कर गया

जिस पे मैं ईमान ले आया 'असद'
मुझ से वो ही बे-ईमानी कर गया

- Subhan Asad

Aaina Shayari

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