समझती है ग़लत दुनिया कि दिल नादान है यारों
इसे भी आदमी की अब ज़रा पहचान है यारों
विरोधी टीम में था तो उसे बाहर बिठाते थे
हमारी टीम में आकर बना कप्तान है यारों
तसव्वुर तजरबा तेवर तमन्ना और तन्हाई
मिलेंगे फूल सब इसमें ग़ज़ल गुलदान है यारों
ख़ुदा की बात है तो फिर मेरा कहना है बस इतना
किताबी ज्ञान से बेहतर ज़रा सा ध्यान है यारों
पढ़ाई नौकरी शादी फिर उसके बाद दो बच्चे
हमारी ज़िन्दगी इतनी कहाँ आसान है यारों
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