पाते पाते इक दिन सब कुछ खो जाएँगे हम
मिट्टी के पुतले मिट्टी के हो जाएँगे हम
इक दिन मुद्दत हो जाएगी ये दुनिया छोड़े
इक दिन इस दुनिया से रुख़्सत हो जाएँगे हम
हर ख़्वाहिश छालों की जैसी दुख देगी हमको
हर ख़्वाहिश पर फिर आँसू भर रो जाएँगे हम
अब जो हमसे बचकर चलते हैं फिर ढूँढेंगे
उनकी नज़रों से जब ओझल हो जाएँगे हम
अब तो तुम पर चुपके चुपके ग़ज़लें लिखते हैं
इक दिन तुमको ग़ज़लें देकर खो जाएँगे हम
दुनिया को जीतोगे इक दिन दुनिया पा लोगे
यूँ ही लेकिन तुमसे इक दिन खो जाएँगे हम
अब तो 'सलमा' बिन तुमको इक इक दिन भारी है
फिर भी इक दिन तुम पर बोझिल हो जाएँगे हम
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