मेरा दिल कर रहा मैं मर जाऊँ
और मैं उसको तन्हा कर जाऊँ
इस मोहब्बत में कुछ नहीं यारों
सोचता हूँ मैं अब सुधर जाऊँ
मेरे दिल में ख़याल आता है
माँगने रिश्ता उसके घर जाऊँ
वो मेरी क्यूँ न हो सकी है याँ
पूछने क्या ये अर्श पर जाऊँ
वो मेरी आस में रहे बैठी
शहर से उसके मैं गुज़र जाऊँ
सोचता हूँ भुला दिया उसने
क्यूँ न अब मैं भी दर-गुज़र जाऊँ
दर्द-ए-दिल का ये हाल पूछो मत
बस दुआ तुम करो मैं मर जाऊँ
वो मुकम्मल मेरी हो अब कैसे
किसके सो ऐसे अब मैं दर जाऊँ
क्या करें शहर छोड़ दें उसका
उसकी आँखों में आँसू भर जाऊँ
वो बहुत ग़ुस्सा करती है यारों
ऐसी बातों से क्या मैं डर जाऊँ
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