वक़्त का दरिया तो हम पार नहीं कर सकते
करना चाहे भी तो हम यार नहीं कर सकते!
भूल जाना भी कोई काम हुआ करता है?
काम ये आपके बीमार नहीं कर सकते!
क्यूँ सदा ढूँढने होते है बहाने हम को
क्यूँ कभी खुल के हम इन्कार नहीं कर सकते?
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Vikram Sharma
our suggestion based on Vikram Sharma
As you were reading Waqt Shayari