देखता हूँ मैं भी हैरानी के साथ
आग की है दोस्ती पानी के साथ
पास अब धेला नहीं तो क्या हुआ
है मगर राजा किसी रानी के साथ
मेरी हालत है भिखारी की तरह
रात दिन रहता हूँ मैं दानी के साथ
मुश्किलें आती हैं तो आती रहें
हल भी कर दूँगा मैं आसानी के साथ
बिजली से चलने लगी जब चक्कियाँ
बैल अब दिखते नहीं घानी के साथ
घेर कर रखते थे बच्चे रात दिन
अब नहीं रहता कोई नानी के साथ
As you were reading Shayari by Manish Kumar Gupta
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