किसी जर्जर 'इमारत को सहारा कौन देता है
रहो नाकाम तो अवसर दुबारा कौन देता है
यहाँ किसको पड़ी है कौन जीता कौन मरता है
यहाँ ता- 'उम्र बेबस को गुज़ारा कौन देता है
किसी से जब मिलो तो फ़ासला कुछ दूर का रखना
नदी डूबे समुंदर में किनारा कौन देता है
यहाँ उपहार भी पाने की ख़ातिर हैं दिये जाते
भला मुफ़लिस को खाने को छुहारा कौन देता है
अदब इंसान की 'आदत में शामिल हो ही जाती है
हुए रुख़्सत को रुकने का इशारा कौन देता है
यहाँ सब लोग मिट्टी से बने हैं जानते हैं सब
मगर मिट्टी को उसका मोल सारा कौन देता है
फ़क़त आसान है आँखों में "शुभ" सपने सजाना भी
मगर हर एक को टूटा सितारा कौन देता है
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