अगर दिल जो किसी का ताज़ा टूटे
कोई आवाज़ दे तो सपना टूटे
बनाए रखना दूरी बज़्म में आप
न जाने ज़ेहन का कब शीशा टूटे
नहीं भर सकता फिर वो ज़ख़्म कोई
अगर जो वक़्त पहले टाँका टूटे
कोई कैसे मिरे दुख जान पाए ?
कोई तो हो जो मेरे जैसा टूटे
मुहब्बत अब नही करनी हमें यार
कोई टूटे भी तो फिर कितना टूटे
मिरी माँ का तू भी तो दर्द समझे
मोहब्बत में तिरा भी लड़का टूटे
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