"रूठे हुए उदास लड़के-लड़कियाँ"
रूठी हुई उदास लड़कियों की तासीर सोंठ की तरह होती है, उनमें कड़वाहट इतनी कि ज़ुबाँ जला दें लेकिन इश्क से लबरेज़ इतनी कि पसीज जाएँ एक अदना सा ग़म का फ़साना सुन के, जो चाहती हैं कि मनायी जाएँ, सुनी जाएँ, बुनी जाएँ कविताओं में, उन सारे अल्फ़ाज़ में जो फ़क़त उनके लिए ही हों, जो सहेजे जाएँ डायरी के पन्नों में, ख़तों में, किसी किताब के आख़िरी पन्ने पर, किसी कविता की पसन्दीदा पंक्ति के नीचे खींची गई अंडरलाइन की तरह
रूठी हुई उदास लड़कियाँ अधूरी छोड़ी गयी कहानियों की तरह होती हैं, रूठी हुई उदास लड़कियाँ देर रात अधूरी छोड़ी गयीं किताबों की तरह होती हैं, जो इत्मिनान से सीने पर आराम करना चाहती हैं, जो अधूरी होती हैं फिर भी इन्तेहाई ख़ूबसूरत होती हैं
"रूठे हुए उदास लड़के बर्फ़ के टुकड़ों की तरह होते हैं, दुनिया उन्हें मज़बूती का ठप्पा लगा देखती है, मिजाज़ में इतनी ठण्डक कि सारे एहसासात जमा दे, पर वही बर्फ़ के टुकड़े तासीर से गर्म होते हैं, बिल्कुल खुद के ही विपरीत, पर ज़रा सा इश्क का सेंक और यही उदास लड़के मोहब्बत का दरिया हो जाते हैं, जो चाहते हैं कि उनके साथ कोई कहानी बहे, जो चाहते हैं कि उन्हें छुआ जाए सतही तौर पर नहीं बल्कि उनके मन के पाँव में फटती बेवाईयों को छुआ जाए, उन्हें पढ़ा जाए हर्फ़-दर-हर्फ़, वह भी जो उन्होंने कहीं नहीं लिखा, कभी नहीं कहा, उनके होंठों पर जमे हुए पत्थर सरीखे अल्फ़ाज़ों को चूम कर बिना जाए गहरे सागर की मोती की तरह उन्हें छू कर महसूस किया जाए वही एहसास जो महसूस होता है सुबह की पहली ओस की बूँद को छु कर, वे चाहते हैं कि नोंच के फेंका जाए सख़्त-मिज़ाजी के सारे तमगे और होना चाहते हैं किसी बीज में फूटती पहली कोमल कोपल।"
रूठे हुए उदास लड़के/लड़कियाँ उन काले बादलों की तरह हैं जिन्हें बरसने के लिए फ़क़त चन्द टुकड़े ज़मीन की आरज़ू होती है और यह दुनिया उन्हें वह भी नहीं दे पाती
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