मौसमों से काम ले हो फ़ायदा कुछ सर्दियों से
कपकपाते मेरे लब जाँ दाब ले अपने लबों से
हो रही थी वो परेशां देख कर अफसूरदा फूल
सो बिछाए उसकी राहों में ले कर तारें शबों से
मत सिखाना अपने लड़को को वफ़ादारी का ये फ़न
ऐसे ही लड़को की लाशें मिलती है फिर पटरियों से
एक दिन मेरे मुताबिक बदली दुनियां और उसमें
बादलों से मिट्टी बरसी निकला पानी पत्थरों से
रहती थी तेरी जुदाई की उछल कूद आंगनों में
गूंजने लगता था मेरा आशियाँ ख़ामोशियों से
आने लगते अपनी आज़ादी के सपने हर किसी को
ज़िक़्र होने लगता जब भी फाँसियों का कैदियों से
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