जो मेरे दिल में लगी आग बुझाने के लिए
कोई ग़म भी तो नहीं मुझको रुलाने के लिए
और मुझ से वो मोहब्बत में जुदा हो जाए
ज़ख़्म भी तो हो ज़माने को दिखाने के लिए
ईद पे राह मेरी देख रही है अम्मी
दिल तो बेचैन है अब घर को ये जाने के लिए
इश्क़ में तुम कभी इन पे ये भरोसा न करो
बोले ता-उम्र वो जो साथ निभाने के लिए
ज़हर से जो न मरे इश्क़ से वो मर जाता
शायरी ही तो सहारा है बचाने के लिए
जब तलक साथ है वो मेरा बड़ा भाई तो
लाख कोशिश करो तुम मुझको मिटाने के लिए
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