Haidar Bayabani

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Haidar Bayabani shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Haidar Bayabani's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Nazm
गाजर बोली बी मूली से
देखो मेरे ढंग निराले
लाल गुलाबी रंग है मेरा
मीठा इक इक अंग है मेरा
मुझ से हलवा लोग बनाएँ
इस में मेवा-जात मिलाएँ
ख़ूब मज़े ले ले कर खाएँ
मुझ से कितना प्यार जताएँ
तू तो अपनी आप सज़ा है
रंग बुरा बे-कार मज़ा है
तीखी इतनी मुँह जल जाए
तुझ को कितने लोग न खाए
मूली बोली तैश में आ कर
जलती है तू मुझ से गाजर
चाँदी जैसा रंग है मेरा
उजला इक इक अंग है मेरा
मैं हूँ हर पकवान की साथी
या'नी दस्तर-ख़्वान की साथी
खाएँ मुझ को लोग घरों घर
क्या शबराती क्या मुरलीधर
तू तो है हर फ़ित्ने की जड़
दूर करूँ मैं पेट की गड़बड़
मैं ऊँची हूँ तू है नीची
या'नी मेरे पैर की जूती
सुन कर तू तू मैं मैं उन की
समझाने को लौकी आई
बोली लौकी झगड़ा कैसा
इंसानों का ये है शेवा
अपना तो संसार अलग है
या'नी कारोबार अलग है
इक दूजे से जल जल मरना
इंसानों की बातें सब हैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
नादानों की ज़ातें सब हैं
लेकिन मूली गाजर लौकी
आपस में हैं अपने सारे
सब अच्छे हैं सब कार-आमद
इक बगिया के सपने सारे
छोड़ो झगड़ा और लड़ाई
आपस की ये मार कटाई
अब आपस में जंग न करना
इक दूजे को तंग न करना
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Haidar Bayabani
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गर्मी का है ज़माना
सर्दी हुई रवाना
आँखें दिखाए सूरज
तन-मन जलाए सूरज
पानी हवा हुआ है
जंगल जला हुआ है
होती है साएँ साएँ
ग़ुस्से में हैं हवाएँ
उठते हैं यूँ बगूले
जैसे गगन को छू ले
तीतर बटेर तोते
खाएँ हवा में ग़ोते
धरती दहक रही है
मिट्टी सुलग रही है
गिर जाए जो ज़मीं पर
भुन जाए है वो दाना
गर्मी का है ज़माना
सर्दी हुई रवाना
मौसम बदल रहा है
इंसाँ पिघल रहा है
उतरा गले से मफ़लर
मुँह तक रही है चादर
तह हो गई रज़ाई
ख़ाली है चारपाई
कम्बल सहज रखी है
मलमल गले लगी है
पंखों को झल रहे हैं
अब फ़ैन चल रहे हैं
हीटर से ख़ौफ़ खाएँ
कूलर चलाए जाएँ
हर शय बदल रही है
क्या मर्द क्या ज़नाना
गर्मी का है ज़माना
सर्दी हुई रवाना
आती है याद नानी
करते हैं पानी पानी
शर्बत का दौर आए
क़ुलफ़ी दिलों को भाए
तरबूज़ बिक रहे हैं
खरबूज़ बिक रहे हैं
दूकान कोई खोले
बेचे हैं बर्फ़-गोले
घर घर में हम ने देखा
पीते हैं रूह-अफ़्ज़ा
लस्सी का बोल-बाला
काफ़ी का मुँह है काला
जिस से मिले है ठंडक
उस का जहाँ दिवाना
गर्मी का है ज़माना
सर्दी हुई रवाना
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Haidar Bayabani
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दादी अम्माँ दादी अम्माँ
कितनी सीधी-सादी अम्माँ
चाँदी जैसे बालों वाली कितनी अच्छी दादी अम्माँ
बातें उन की मिस्री जैसी क़ौल की पक्की दादी अमाँ
उजले उजले कपड़े पहने सीधी-सादी दादी अम्माँ
दादी अम्माँ दादी अम्माँ
कैसी सीधी-सादी अम्माँ
रात गए तक परियों वाले क़िस्से हमें सुनाती हैं
गीत सुना कर लोरी गा कर मीठी नींद सुलाती हैं
आधी रात गए तक जागते रहने की है आदी अम्माँ
दादी अम्माँ दादी अम्माँ
कैसी सीधी-सादी अम्माँ
गुड़िया गुड्डे की पोशाकें हम को सी सी कर देती हैं
जितने भी हैं पास हमारे सब संदूक़चे भर देती हैं
बन कर फिर बच्चों में बच्चा कर देती है शादी अम्माँ
दादी अमाँ दादी अम्माँ
कैसी सीधी-सादी अम्माँ
अब्बू जब नाराज़ हों हम से वो अब्बू को डाँटती हैं
हम बच्चों के हर सुख-दुख को वो हँस हँस के बाँटती हैं
जैसे कोई शहर का दादा वैसे घर की दादी अम्माँ
दादी अम्माँ दादी अम्माँ
कैसी सीधी-सादी अम्माँ
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Haidar Bayabani
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इतना क्यों नाराज़ हो मुझ पर यूँ मत डाँटो अब्बू जी
मैं हूँ नन्हा-मुन्ना बच्चा इतना जानो अब्बू जी
यूँ मत डाँटो अब्बू जी

तुम भी पहले बच्चे ही थे ये मत भूलो अब्बू जी
नटखट भी मुझ जैसे ही थे ये मत भूलो अब्बू जी
जिस दिन ज़िद फ़रमाई होगी दादा से और दादी से
उस दिन मार भी खाई होगी दादा से और दादी से
बचपन नाम शरारत का है तुम भी समझो अब्बू जी
यूँ मत डाँटो अब्बू जी

शैतानी भी करते होंगे सच बतलाओ अब्बू जी
मन-मानी भी करते होंगे सच बतलाओ अब्बू जी
तोड़ भी डालें होंगे तुम ने खेल खिलौने चाचा के
और कभी कर डाले होंगे कपड़े गंदे दादा के
सारी बातें याद करो फिर मुझ को देखो अब्बू जी
यूँ मत डाँटो अब्बू जी

नाग़ा भी हो जाती होगी हफ़्ते में स्कूल कभी
पढ़ते पढ़ते रोज़ सबक़ को बैठे होंगे भूल कभी
टीचर जी ने ग़ुस्सा हो कर तुम को मुर्ग़ बनाया होगा
हँसते होंगे सब हम-जोली ख़ूब मज़ा फिर आया होगा
जो कुछ मुझ से भूल हुई है मुआ'फ़ भी कर दो अब्बू जी
यूँ मत डाँटो अब्बू जी
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खेलने आए दोनों क्रिकेट बंदर हाथी
उन के पीछे थे जंगल के सारे साथी
कैप्टन था इक टीम का हाथी मस्त क़लंदर
दूसरी टीम का कैप्टन बन बैठा था बंदर
बंदर ये थे क़िस्मत वाले जीते टॉस
फ़ौरन चीते को बुलवाया अपने पास
ओपन करने इक जानिब से आया शेर
जोश में आ कर लगाया उस ने रनों का ढेर
इक ओवर में बना गया वो सोला रन
सतरह गेंदों में रन उस के सत्तावन
इस पारी में धूम धड़का मचा गया वो
चाय से पहले डबल सैंचरी बना गया वो
देख के अपनी टीम की दुर्गत हाथी चौंका
ख़ुद करने बॉलिंग कवर से आया दौड़ा
पहली बॉल ही चीते के इस्टम्प को मारा
दूसरी बॉल में शेर ड्रेसिंग रूम सिधारा
तीसरी बॉल पे सांभर जी ने कैच दिया
चौथी बॉल पे रीछ बेचारा बोल्ड हुआ
इक ओवर में चार विकट थे ज़ीरो रन
हाथी ने रिकॉर्ड बना डाला ए-वन
एक इनिंग में आठ विकट कीपर के कैच
नन्हा सा ख़रगोश हुआ मैन ऑफ़ दी मैच
दो सौ बीस पे बंदर जी की टीम ऑल आउट
पहले रोज़ मछन्दर जी की टीम ऑल आउट
दूसरे दिन हाथी के उतरे बल्लेबाज़
बल्लेबाज़ी में लेकिन न थे मुम्ताज़
बंदर जी ने फॉलो-आन की शेख़ी मारी
सोचा ख़त्म करेंगे उन की जल्दी पारी
हाथी आया दो साथी आउट होने पर
वो चकराया अपनी दो विकटें खोने पर
हाथी के आने से पारी सँभल गई थी
वैसे भी अब पिच की हालत बदल गई थी
हाथी आया चौके छक्के मारा ख़ूब
बंदर दौड़ा इधर उधर बेचारा ख़ूब
तीन सौ तेरह बना के हाथी नॉट आउट था
अपने कर्तब दिखा के हाथी नॉट आउट था
दो विकटों पे लगा था छे सौ रनों का ढेर
फिर पारी डिक्लियर करने में क्या देर
दूसरी पारी में बंदर की उड़ी हँसी
अस्सी ही रन बना के पूरी टीम गई
तीन सौ रन और दस विकटों से मात हुई
जीत हुई हाथी की ऊँची बात हुई
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Haidar Bayabani
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कितनी अच्छी प्यारी बाजी
प्यारी प्यारी प्यारी बाजी
अच्छे अच्छे गीत सुनाए
प्यारे प्यारे गीत सुनाए
एक था राजा एक थी रानी
रोज़ कहे दिलचस्प कहानी
बूझे है दिलचस्प पहेली
अच्छी दोस्त है प्यारी सहेली
कितने क़िस्से याद हैं उस को
ख़ूब लतीफ़े याद हैं उस को
मुझ को ख़ूब हँसाए बाजी
रोऊँ तो बहलाए बाजी
कितनी अच्छी प्यारी बाजी
प्यारी प्यारी प्यारी बाजी
गुड़िया का जब ब्याह रचाए
सब बच्चों को साथ खिलाए
बाग़ में जा कर झूला झूले
मौज में आ कर डाली छू ली
खेले मिल-जुल आँख-मिचोली
बोले सब से प्यार की बोली
खेले पर स्कूल से पहले
रुक जाए हर भूल से पहले
पढ़ने में होशियार है बाजी
खेल में भी तय्यार है बाजी
कितनी अच्छी प्यारी बाजी
प्यारी प्यारी प्यारी बाजी
मुखड़ा उस का भोला-भाला
दाँत उस के मोती की माला
हँस दे तो फुल-झड़ियाँ छूटे
बात करें खुल जाए बूटे
प्यारी प्यारी बातें उस की
रहबर सारी बातें उस की
सब को अच्छी बात बताए
सब को सच्ची बात सिखाए
सच्ची चाह जताए बाजी
सीधी राह दिखाए बाजी
कितनी अच्छी प्यारी बाजी
प्यारी प्यारी प्यारी बाजी
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दीप से दीप जलाएँ साथी
हर आँगन उजयारा कर लें
हर ज़र्रा मह-पारा कर लें
मेरे सीने तेरे सपने
तेरे सुख-दुख मेरे अपने
हर आशा को पाएँ साथी
दीप से दीप जलाएँ साथी
हर आँगन उजयारा कर लें
हर ज़र्रा मह-पारा कर लें

ये घर अपना वो घर अपना
हीरा अपना कंकर अपना
मिल-जुल साथ निभाएँ साथी
दीप से दीप जलाएँ साथी
हर आँगन उजयारा कर लें
हर ज़र्रा मह-पारा कर लें

भाई भाई बन के रहना
साथ ही मरना साथ ही जीना
मन से मन मिल जाएँ साथी
दीप से दीप जलाएँ साथी
हर आँगन उजयारा कर लें
हर ज़र्रा मह-पारा कर लें

जो साथी भी छूट गया हो
बिन-कारन ही रूठ गया हो
उस को भी मनवाएँ साथी
दीप से दीप जलाएँ साथी
हर आँगन उजयारा कर लें
हर ज़र्रा मह-पारा कर लें
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बेलों पर टॉफ़ी खिल जाए
चाय कॉफ़ी नल से आए
बिस्कुट डाली डाली झूले
बच्चा बच्चा जिस को छू ले
बगिया होगी कितनी प्यारी
लड्डू हों जब क्यारी क्यारी
बूँदें टपके बूँदीं बन कर
बर्फ़ी फैले घर की छत पर
हलवे का बादल घर आए
ऐसा काश कभी हो जाए
पेड़ों पर पेड़े लग जाएँ
जब चाहें हम तोड़ के खाएँ
हर जानिब सोहन हलवा हो
बालूशाही का जल्वा हो
झरना ख़ैर का बहता जाए
ख़ूब जलेबी तैरती आए
बेरी पर जब मारें पत्थर
खील बताशे टपकें दिन भर
बच्चा खाए बूढ़ा खाए
ऐसा काश कभी हो जाए
क़ुलफ़ी का मीनार खड़ा हो
हर तारे में केक जुड़ा हो
निकलें जब सड़कों पर घर से
मोती-चूर के लड्डू बरसे
मीठे दूध की बरसातें हों
पेठे की सब सौग़ातें हों
फ़ालूदे से हौज़ भरा हो
लस्सी का दरिया बहता हो
बारिश आ कर रस बरसाए
ऐसा काश कभी हो जाए
नफ़रत हो कड़वी बोली से
उल्फ़त हो हर हम-जोली से
शीरीं कर दें दुनिया सारी
प्यार से भर दें दुनिया सारी
दुनिया में हर काम हो शीरीं
अव्वल आख़िर नाम हो शीरीं
सब से 'हैदर' बोलो मीठा
मीठा खा कर बोलो मीठा
शीरीनी होंटों पर छाए
ऐसा काश अभी हो जाए
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सालगिरह ख़रगोश मनाए
जंगल के सब साथी आए
भीड़ लगी है मेहमानों की
कुछ अपनों कुछ बेगानों की
शेर दहाड़ें मारता आए
हाथी भी चिंघाड़ता आए
कुत्ता भौं भौं करता आया
सांभर चौकड़ी भरता आया
गाय जब रम्भाती आई
बकरी कुछ शरमाती आई
नाचता गाता आया भालू
डोलता आया मेंढा कालू
घोड़ा सरपट दौड़ा आया
भैंसों का इक जोड़ा आया
हिरनी आई लोमड़ी आई
बिल्ली अपने बच्चे लाई
साथ में सब ही लाए तोहफ़े
सब ख़रगोश ने पाए तोहफ़े
फूलों का गुलदस्ता ले कर
चीं चीं करता आया बंदर
केक बना के लाया चीता
उस ने दिल ख़रगोश का जीता
केक कटा तो सारे ख़ुश थे
केक बटा तो सारे ख़ुश थे
इक दूजे से गले मिले सब
भूल के शिकवे और गिले सब
बंदर नाचे भालू गाए
कालू मेंढा ढोल बजाए
सालगिरह का जश्न बपा है
जंगल जंगल शोर हुआ है
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Haidar Bayabani
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जनवरी का महीना जो आ कर गया
फिर नए साल की इब्तिदाई कर गया
फ़रवरी कर रहा है जुदा सर्दियाँ
हम उतारेंगे अब ऊन की वर्दियाँ
मार्च है साल का तीसरा माह-ए-नौ
सब को करता है तल्क़ीन अब ख़ुश रहो
माह अप्रैल में इम्तिहाँ आएँगे
रात-दिन पढ़ के हम पास हो जाएँगे
लो मई आ गया बंद मकतब हुए
गर्मियों से परेशान हम सब हुए
जून बारिश की लाए ख़बर दोस्तो
है फ़लक की तरफ़ हर नज़र दोस्तो
है जुलाई के आने के अब सिलसिले
खुल गए सारे स्कूल मकतब खुले
साल में जब भी माह-ए-अगस्त आ चला
अपनी आज़ादियों का बढ़ा क़ाफ़िला
जब भी माह-ए-सितंबर जनाब आएगा
खेतियों पर ग़ज़ब का शबाब आएगा
लाए ख़ुश-हालियाँ देखना अक्टूबर
खेत खलियान को हो रही है नज़र
कितना पुर-कैफ़ मौसम नवम्बर में है
मोतियों जैसी शबनम नवम्बर में है
साल रुख़्सत हुआ लो दिसम्बर चला
हो शुरूअ' अब नए साल का सिलसिला
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