कहा था तुम से, न प्यार करना, वही किया ना
न लफ़्ज़ बुनना, न शे'र कहना, वही किया ना
कहा था चाहत से दूर रहना, ये मार देगी
कहा था दिल की न एक सुनना, वही किया ना
परिंद तुम पर हँसा करेंगे, कहा था तुम से
न तुम दरख़्तों पे नाम लिखना, वही किया ना
ये टूट जाएँ तो साँस लेना, मुहाल ठहरे
कहा था तुम से न ख़्वाब बुनना, वही किया ना
कहा था बातों में तेज़ है वो, सँभल के रहना
न उस का हरगिज़ यक़ीन करना, वही किया ना
ज़हीन तो हो, मगर ज़माना-शनास कम हो
तुम्हें कहा था न इश्क़ करना, वही किया ना
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