जान-ए-अरमाँ, जान-ए- दिल, जान-ए-तमन्ना लिख दिया
उसने मेरा नाम लिख कर जाने क्या क्या लिख दिया
आप मेरी ज़िंदगी हैं आप मेरी आरज़ू
मैंने भी कुछ डरते डरते ख़त में इतना लिख दिया
आपकी नज़रों में क्या हूँ ये पता मुझको नहीं
मैंने अपना आपको समझा है अपना लिख दिया
आपका काग़ज़ क़लम था आपकी महफ़िल भी थी
आपने जिसको भी चाहा उसको अच्छा लिख दिया
बेमुरव्वत, संगदिल, झूठा, फ़रेबी, बेवफ़ा
आज ग़ुस्से में मुझे भी उसने क्या क्या लिख दिया
अब कोई नाराज़ हो जाए तो वो भी क्या करे
वो तो इक शायर है उसने जो भी देखा लिख दिया
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