M. Nasrullah Nasr

M. Nasrullah Nasr

@m-nasrullah-nasr

M. Nasrullah Nasr shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in M. Nasrullah Nasr's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

0

Content

12

Likes

0

Shayari
Audios
  • Ghazal
तकब्बुर का सफ़ीना ऐ सितमगर डूब जाता है
अना के एक क़तरे में समुंदर डूब जाता है

सदा है सरफ़राज़ी ख़ाकसारी को ज़माने में
कि तिनका तैरता रहता है पत्थर डूब जाता है

समुंदर की तहों से लोग मोती ढूँड लाते हैं
कोई बहर-ए-तलातुम में उतर कर डूब जाता है

सफ़र राह-ए-मोहब्बत का नहीं आसाँ मिरे हमदम
ये ऐसा बहर है जिस में शनावर डूब जाता है

तज़ल्लुम की हुकूमत देर तक रहती नहीं क़ाएम
लहू में अपने ही इक दिन सितमगर डूब जाता है

कभी ग़फ़लत में मत रहना कि अक्सर होता है ऐसा
सफ़ीना शौक़ का साहिल से लग कर डूब जाता है

ग़ज़ल होती है जब तख़्लीक़ तो ऐ 'नस्र' उस लम्हे
ख़यालों के समुंदर में सुख़नवर डूब जाता है
Read Full
M. Nasrullah Nasr
कहीं मंज़िल कहीं रस्ता पुराना छूट जाता है
सफ़र में ज़ीस्त के मंज़र सुहाना छूट जाता है

रक़ाबत का सबब बनता है अक्सर रोज़ का मिलना
ज़रा सी बात पे मिलना-मिलाना छूट जाता है

बहुत अफ़्सोस होता है ज़ईफ़ी में बुज़ुर्गों को
जवाँ बेटे का जब मज़बूत शाना छूट जाता है

यही दस्तूर-ए-फ़ितरत है ख़िज़ाँ के दौर में अक्सर
शजर के हाथ से पत्ता पुराना छूट जाता है

समझ लीजे अजल का हम-सफ़र है वो बशर अब तो
बहुत पहले से जिस का आब-ओ-दाना छूट जाता है

सफ़र में हम-सफ़र मिल जाए जिस को चाँद का टुकड़ा
फिर उस से दोस्त क्या सारा ज़माना छूट जाता है

मता-ए-दहर पर ऐ 'नस्र' इतना नाज़ क्या करना
अदम की राह में सारा ख़ज़ाना छूट जाता है
Read Full
M. Nasrullah Nasr