Aftab Shamsi

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@aftab-shamsi

Aftab Shamsi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Aftab Shamsi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
देर तक रात अँधेरे में जो मैं ने देखा
मुझ से बिछड़े हुए इक शख़्स का चेहरा उभरा

क़स्में दे दे के मिरे हाथों ने मुझ को रोका
मैं ने दीवार से कल नाम जब उस का खुर्चा

देख कर उस को लगा जैसे कहीं हो देखा
याद बिल्कुल नहीं आया मुझे घंटों सोचा

मोम-बत्ती को गलाता रहा धीरे धीरे
रात अँधेरे का मिरे कमरे में बहता लावा

कितने मग़्मूम ग़ज़ालों का भरम रखता है
नर्म कपड़े से तराशा हुआ काला बुर्क़ा

क़द्र अब हो कि न हो ज़ेहन-ए-रसा की लेकिन
आ ही जाता है कभी काम ये खोटा सिक्का

सारे दिन मेरी तरह जलता है और शाम ढले
हर-बुन-ए-मू से लिपट जाता है मेरा साया

अपने होंटों पे सजा लेता हूँ मैं झूटी हँसी
अपनी पलकों में छुपा लेता हूँ जलता दरिया

मान लो मेरी जो है उस पे क़नाअ'त कर लो
अब नहीं उतरेगा इस दुनिया में मन्न-ओ-सल्वा
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Aftab Shamsi
कोई अच्छी सी ग़ज़ल कानों में मेरे घोल दे
क़ैद-ए-तन्हाई में हूँ मैं मुझ को आ कर खोल दे

ये तनाव जिस्म का बढ़ने नहीं देगा तुझे
चुस्त पैराहन में तू अपने ज़रा सा झोल दे

एक लड़की जल रही है चिलचिलाती धूप में
कोई बादल आ के उस पर अपनी छतरी खोल दे

राह तकते जिस्म की मज्लिस में सदियाँ हो गईं
झाँक कर अंधे कुएँ में अब तो कोई बोल दे

मैं ख़रीदार-ए-वफ़ा हूँ तू गिरफ़्तार-ए-वफ़ा
मेरी बाँहों में थिरकता जिस्म अपना तोल दे

देर तक बंजारा कल कोई सदा देता रहा
कौन है बाज़ार में जो जिंस-ए-दिल का मोल दे

जाने कब से फ़ैसला क़िस्मत का सुनने के लिए
मुंतज़िर बैठा हूँ मैं तू अपनी मुट्ठी खोल दे

शेर अच्छे हों तो बे-गाए भी मिल जाती है दाद
तू ख़ुदारा लहन के हाथों में मत कश्कोल दे
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