"ऑनलाइन की दुनिया"
अजनबी तो हम भी थे लेकिन जमाने के लिए
उसे सिर्फ अपना समझा, अपना बनाने के लिए!
बात बात में रूठ कर ख़फ़ा हो जाता था व मुझसे
मैंने बहुत कोशिश की रूठे यार को मनाने के लिए
और यहाँ समझता कोई नही सच्ची मोहब्बत को
दिल खोलकर रख दिया,उसे हाल-ए-दिल सुनाने के लिए!
फिर भी नहीं समझ पाया वो मेरे दिल मे ज़ज़्बात को,
मैंने भी अब उसे छोड़ दिया, ज़माने की ठोकर खाने के लिए!
मोहब्बत में थोड़ा सा झुकना,थोड़ा टूटना जरूरी है,
लेकिन हर बार नहीं गिर सकती, सिर्फ़ एक को उठाने के लिए!
बहुत मिलेंगे राह में मुसाफ़िर, सफ़र अभी तो शुरू हुआ
बहुत आएंगे बहुत जाएंगे मुझे भी आजमाने के लिए!
कभी भी गिर कर प्यार मत करना किसी से ऐ दोस्तो
यहाँ लोग भरोसा भी तोड़ते है, सिर्फ़ हवस मिटाने के लिए!
अगर मोहब्बत सच्ची हो तो, दूर तक पाकीज़गी नज़र आएगी
वरना फ़रेब इश्क़ करते है लोग सिर्फ़ वक़्त निकालने के लिए!
गर फस जाओ कभी ऐसे जंजाल में तो फिर
क़दम पीछे कर लेना आपकी ज़िंदगी बचाने के लिए!
बहुत मिलते है मेहब्बत करने वाले लोग यहाँ ऑनलाइन की दुनिया में
कभी इनकी बातों में मत आना, बाद में पछताने के लिए!
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