Ozair Rahman

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@ozair-rahman

Ozair Rahman shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ozair Rahman's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
फिर ये किस ने मुझे जगाया है
फिर से ख़्वाबों में कौन आया है

फिर से नम ये हुईं हैं क्यूँ आँखें
फिर तुम्हारा ख़याल आया है

फिर से रूठी है क्यूँ ये शहनाई
फिर से मातम का माह आया है

आरज़ू हो गई है फिर बेबाक
फिर ख़बर गर्म कोई लाया है

फिर नए साल की है तय्यारी
जश्न पर गोलियों का साया है

फिर चमन में रहेगा हंगामा
फिर नया फूल कोई आया है

फिर से बादल हैं आसमानों में
अब्र उम्मीदें ले कर आया है

फिर सज़ा का हुआ है अंदेशा
मुझ को तन्हाई में बुलाया है

फिर से तारीख़ बन गया मौज़ूअ
फिर से क़िस्सा नया बनाया है

फट रही है ये फिर से धरती क्यूँ
फिर से यज़्दाँ का क़हर आया है

घर हुआ है ख़ुदा का वीराँ फिर
फिर से आसेब इस पे छाया है

फिर से क़ानून ताक़ पर रक्खा
फिर से दंगाइयों को लाया है

देखो तो ग़ौर से वही ज़ालिम
फिर से चेहरा बदल के आया है

फिर से छाई है एक ख़ामोशी
फिर नया ज़ुल्म कोई ढाया है

फिर है बस्ती में एक बेचैनी
फिर नया फ़ित्ना आज़माया है

फिर से ख़तरा खड़ा है मुँह खोले
फिर से अपना हुआ पराया है

फिर से मंदिर में शंख फूंके हैं
फिर से गुम्बद में ख़ौफ़ आया है

साज़िशें बंद हों तो दम आए
फिर लगे देश लौट आया है
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Ozair Rahman
हिसाब-ए-दोस्ताँ दर-दिल नहीं अब
पलटना बातों से मुश्किल नहीं अब

किया करते थे जो जाँ भी निछावर
भरोसे के भी वो क़ाबिल नहीं अब

समुंदर की हदें बढ़ने लगी हैं
नज़र आता कहीं साहिल नहीं अब

रहे थे जो शरीक-ए-ग़म शब-ओ-रोज़
ख़ुशी देखी तो वो शामिल नहीं अब

क़हर ढाता रहा जो हुस्न-ए-जानाँ
बहुत अफ़्सोस वो क़ातिल नहीं अब

बुराई करना ला-हासिल है लगता
सुनें दो कान जो फ़ाज़िल नहीं अब

बनें बेहतर भी अब इंसान कैसे
बनाने को वो आब-ओ-गिल नहीं अब

भला तय भी हो ये रस्ता तो कैसे
निगाहों में कोई मंज़िल नहीं अब

तसाहुल छोड़िए वक़्त-ए-अमल है
गुज़र पाएगी यूँ काहिल नहीं अब

करें क्या ज़िंदगी क़ुर्बान उस पर
रहा जो ज़ीस्त का हासिल नहीं अब
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Ozair Rahman