Akram Mahmud

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@akram-mahmud

Akram Mahmud shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Akram Mahmud's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
यूँ ही रक्खोगे इम्तिहाँ में क्या
नहीं आएगी जान जाँ में क्या

क्यूँ सदा का नहीं जवाब आता
कोई रहता नहीं मकाँ में क्या

इक ज़माना है रू-ब-रू मेरे
तुम न आओगे दरमियाँ में क्या

वो जो क़िस्से दिलों के अंदर हैं
वो भी लाओगे दरमियाँ में क्या

किस क़दर तल्ख़ियाँ हैं लहजे में
ज़हर बोते हो तुम ज़बाँ में क्या

दिल को शिकवा नहीं कोई तुम से
हम ने रहना नहीं जहाँ में क्या

वो जो इक लफ़्ज़ ए'तिबार का था
अब नहीं है वो दरमियाँ में क्या

मेरे ख़्वाबों के जो परिंदे थे
हैं अभी तक तिरी अमाँ में क्या

अब तो ये भी नहीं ख़याल आता
छोड़ आए थे इस जहाँ में क्या

ये बखेड़ा जो ज़िंदगी का है
छोड़ दूँ उस को दरमियाँ में क्या

चंद वा'दे थे चंद दा'वे थे
और रखा था दास्ताँ में क्या

जाने वो दिल था या दिया कोई
रात जलता था शम्अ-दाँ में क्या
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Akram Mahmud
अब दिल भी दुखाओ तो अज़िय्यत नहीं होती
हैरत है किसी बात पे हैरत नहीं होती

अब दर्द भी इक हद से गुज़रने नहीं पाता
अब हिज्र में वो पहली सी वहशत नहीं होती

होता है तो बस एक तिरे हिज्र का शिकवा
वर्ना तो हमें कोई शिकायत नहीं होती

कर देता है बे-साख़्ता बाँहों को कुशादा
जब बच के निकल जाने की सूरत नहीं होती

दिल ख़ुश जो नहीं रहता तो इस का भी सबब है
मौजूद कोई वज्ह-ए-मसर्रत नहीं होती

यूँ बर-सर-ए-पैकार हूँ मैं ख़ुद से मुसलसल
अब उस से उलझने की भी फ़ुर्सत नहीं होती

अब यूँ भी नहीं है कि वो अच्छा नहीं लगता
यूँ है कि मुलाक़ात की सूरत नहीं होती

ये हिज्र-ए-मुसलसल का वज़ीफ़ा है मिरी जाँ
इक तर्क-ए-सुकूनत ही तो हिजरत नहीं होती

दो चार बरस जितने भी हैं जब्र ही सह लें
इस उम्र में अब हम से बग़ावत नहीं होती
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