फिर से वो याद आने लगे कुछ दिन गुज़र जाने के बाद
सिगरेट की अब फिर से तलब उठने लगी खाने के बाद
ग़मगीन हैं जो लोग ये आँखें मिरी नम देख कर
कह दे इन्हें साँस आएगी मुझ को तिरे आने के बाद
मंदिर कभी मस्जिद कभी फिर टूट कर मयख़ाने में
ढूँढा तुझे हर इक जगह तेरे चले जाने के बाद
ये रीत तो चलती रहेगी आशिक़ी में मौत की
आशिक़ तो होंगे और भी फिर तेरे दीवाने के बाद
यारों मेरे कुर्ते पे तुम गिरने न दो इक बूँद भी
घर भी मुझे जाना है वापिस यार मयख़ाने के बाद
मैंने बहुत समझा दिया तू बात सुन ऐ ज़िंदगी
फिर भी उलझती ही रही ये लाख सुलझाने के बाद
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