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हो! तो उड़ते हुये पंछी सी क़िस्मत हो  - Anish Gumber

हो! तो उड़ते हुये पंछी सी क़िस्मत हो
न हो तो, तोड़ने की पिंजरा जुर्रत हो

मुहब्बत हो, इबादत हो, अदावत हो
उसूलों की, हमेशा ही, हिफ़ाज़त हो

अलावा तेरे उसको कोई सूझे नई
के तेरे प्यार में, इतनी तो, ताक़त हो

गले लगकर के रोना चाहता हूँ मैं
अगर जानां मुझे इतनी, इजाज़त हो

मिले अश्क़ो के बदले में सुकूँ मुझको
मुहब्बत में कोई ऐसी, तिजारत हो

नशा दूजा भला उस पर चढ़ेगा क्यूँ ?
नशे तेरे की जिसको जानां, आदत हो

मैं चाहूँ छोड़ना पर छूटता वो नई
लगी उसकी मुझे जैसे, कोई लत हो

वो सोये कैसे, कैसे चैन पाये वो ?
जिसे सपनो में भी तेरी ही, हसरत हो

- Anish Gumber

Qismat Shayari

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