खुदाया एक दुनिया ऐसी भी निर्मित करो तुम

  - Bhoomi Srivastava

खुदाया एक दुनिया ऐसी भी निर्मित करो तुम
ज़बाँ पशुओं को मानव की तरह अर्पित करो तुम

नहीं हर बार माफ़ी हक़ में आएगी सभी के
दुखाए जो तुम्हारा दिल उसे शापित करो तुम

जहाँ से जो मिले उसको समेटो और समा लो
हवा से चाल सूरज से चमक अर्जित करो तुम

तुम्हारा जो करे सत्कार उसका मान रखना
नहीं वाजिब सभी के साथ में जनहित करो तुम

जिसे दिखती तुम्हारी देह बस ओछी नज़र से
धतूरा है नज़र उसकी यही कल्पित करो तुम

तुम्हारी रूह चट्टानों से भी मज़बूत है दोस्त
कभी ये बात अपने आपको साबित करो तुम

  - Bhoomi Srivastava

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