किसके नसीब में है सितारा उठाइये - Janib Vishal

किसके नसीब में है सितारा उठाइये
मैं या रकीब आप तो सिक्का उठाइये

क्या चल रहा है पीठ के पीछे बताइये
कुछ भी ग़लत नहीं है तो पर्दा उठाइये

मेरे सिवा सहीह में चक्कर नहीं कहीं?
मेरी कसम न खाइये, गंगा उठाइये

दिल पर वो बोझ है कि निकल जाए जान बस
उतना ही बढ़ता जाता है जितना उठाइये

इक बार में नहीं सुनी उसने अगर सदा
कुछ हो कमी कि कूक दुबारा उठाइये

पानी की प्यास है कि है दरिया की प्यास या
कतरा मिले जो प्यास को कतरा उठाइये

हमको नहीं पसंद कि हो शर्मसार आप
रखिए बदन को दूर कि माथा उठाइये

पढ़ना था ज़िंदगी को सो छोड़ी नहीं किताब
गुर्बत तो रोज़ कहती थी बस्ता उठाइये

'जानिब' सुख़न में चैन है रोटी नहीं मगर
जीने का अब तो और तरीक़ा उठाइये

- Janib Vishal
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