kiske naseeb mein hai sitaara uthaiye
main ya rakeeb aap to sikka uthaiye
kya chal raha hai peeth ke peechhe bataaiye
kuchh bhi ghalat nahin hai to parda uthaiye
mere siva saheeh mein chakkar nahin kahin
meri kasam na khaiye ganga uthaiye
dil par vo bojh hai ki nikal jaaye jaan bas
utna hi badhta jaata hai jitna uthaiye
ik baar mein nahin sooni usne agar sada
kuchh ho kami ki kook dobaara uthaiye
paani kii pyaas hai ki hai dariya kii pyaas ya
katara mile jo pyaas ko katara uthaiye
hamko nahin pasand ki ho sharmasaar aap
rakhiye badan ko door ki maatha uthaiye
padhna tha zindagi ko so chhodi nahin kitaab
gurbat to roz kahti thi basta uthaiye
jaanib sukhun mein chain hai roti nahin magar
jeene ka ab to aur tareeqa uthaiye
किसके नसीब में है सितारा उठाइये
मैं या रकीब आप तो सिक्का उठाइये
क्या चल रहा है पीठ के पीछे बताइये
कुछ भी ग़लत नहीं है तो पर्दा उठाइये
मेरे सिवा सहीह में चक्कर नहीं कहीं?
मेरी कसम न खाइये, गंगा उठाइये
दिल पर वो बोझ है कि निकल जाए जान बस
उतना ही बढ़ता जाता है जितना उठाइये
इक बार में नहीं सुनी उसने अगर सदा
कुछ हो कमी कि कूक दुबारा उठाइये
पानी की प्यास है कि है दरिया की प्यास या
कतरा मिले जो प्यास को कतरा उठाइये
हमको नहीं पसंद कि हो शर्मसार आप
रखिए बदन को दूर कि माथा उठाइये
पढ़ना था ज़िंदगी को सो छोड़ी नहीं किताब
गुर्बत तो रोज़ कहती थी बस्ता उठाइये
'जानिब' सुख़न में चैन है रोटी नहीं मगर
जीने का अब तो और तरीक़ा उठाइये
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