इस बंद कमरे में अकेला क्या करूँ
कैसे इसे खोलूँ बताना क्या करूँ
आईने से जब भी मिरा मिलना हुआ
वो पूछता है मुझसे मैं क्या क्या करूँ
सपने में वो ख़ुद मुझसे मिलने आई है
मैं सोच में हूँ हाँ करूँ या क्या करूँ
इन आदतों को छोड़ मैं जाऊॅं कहाँ
हँसती हुई तस्वीर इसका क्या करूॅं
इक चीखते दुश्मन की बातें छोड़ो तुम
ख़ामोश बैठे दोस्तों का क्या करूॅं
नेता बनूॅं पैसे चुरा लूॅं देश के
इज़्ज़त मिले हर बार ऐसा क्या करूॅं
मन में बना ली अपनी इक तस्वीर अब
कैसे बनूॅं मैं ख़ुद के जैसा क्या करूॅं
जब हो गया बर्बाद जागा नींद से
फिर आ गया इक और सपना क्या करूॅं
पहले तुम्हें पाने को ख़ुद को खो दिया
अब सोचता हूॅं मैं तुम्हारा क्या करूॅं
ये दरिया कितना गहरा होगा क्या पता
साहिल बता कर लूॅं किनारा क्या करूॅं
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