इस बंद कमरे में अकेला क्या करूँ - Mann sharma

इस बंद कमरे में अकेला क्या करूँ
कैसे इसे खोलूँ बताना क्या करूँ

आईने से जब भी मिरा मिलना हुआ
वो पूछता है मुझसे मैं क्या क्या करूँ

सपने में वो ख़ुद मुझसे मिलने आई है
मैं सोच में हूँ हाँ करूँ या क्या करूँ

इन आदतों को छोड़ मैं जाऊॅं कहाँ
हँसती हुई तस्वीर इसका क्या करूॅं

इक चीखते दुश्मन की बातें छोड़ो तुम
ख़ामोश बैठे दोस्तों का क्या करूॅं

नेता बनूॅं पैसे चुरा लूॅं देश के
इज़्ज़त मिले हर बार ऐसा क्या करूॅं

मन में बना ली अपनी इक तस्वीर अब
कैसे बनूॅं मैं ख़ुद के जैसा क्या करूॅं

जब हो गया बर्बाद जागा नींद से
फिर आ गया इक और सपना क्या करूॅं

पहले तुम्हें पाने को ख़ुद को खो दिया
अब सोचता हूॅं मैं तुम्हारा क्या करूॅं

ये दरिया कितना गहरा होगा क्या पता
साहिल बता कर लूॅं किनारा क्या करूॅं

- Mann sharma
1 Like

More by Mann sharma

As you were reading Shayari by Mann sharma

Similar Writers

our suggestion based on Mann sharma

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari