समझदार आशिक़ हुए हैं
अदाकार आशिक़ हुए हैं
कहाँ अब नई नस्ल में वो
वफ़ादार आशिक़ हुए हैं
नहीं हिज्र झेला गया था
तो बीमार आशिक़ हुए हैं
मोहब्बत में हर बार ही क्यों
यूँ लाचार आशिक़ हुए हैं
हुआ प्यार तो मर गई शर्म
न ख़ुद्दार आशिक़ हुए हैं
मुकम्मल हुई है मोहब्बत
तो बेकार आशिक़ हुए हैं
कभी कम नहीं है किसी से
कलाकार आशिक़ हुए हैं
यहाँ हक़ मिला तो नहीं पर
ये हक़दार आशिक़ हुए हैं
कि दिल टूटने पर नहीं सब
क़लम कार आशिक़ हुए हैं
मोहब्बत में ग़म ही मिलेंगे
ख़बर दार आशिक़ हुए हैं
कभी क़ैस फिर मीर और अब
तो गुलज़ार आशिक़ हुए हैं
मोहब्बत क़लम से हुई है
ग़ज़ल कार आशिक़ हुए हैं
तुम्हें देख कर देव ये सब
असरदार आशिक़ हुए हैं
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