लोग कहते हैं, मुहब्बत में असर तो होता है
होता है वो पूरा पागल इश्क़ जिसको होता है
उसकी बक-बक तो कभी रुक ही नहीं सकती, मियाँ
मैं तो चुप हो जाता हूँ , जब सामने वो होता है
ये ग़ज़ल लिखना भी तो आसान जैसा काम नइँ
काम चुनता भी वही हूँ मैं कठिन जो होता है
हर दफ़ा मुझको मना लेता है मीठा बोल कर
फिर रुलाता है सताता है यही तो होता है
कुछ नहीं कर सकता मेरे बस में उसका कुछ नहीं
वो वही करता है उसके ज़ेहन में जो होता है
ये हक़ीक़त मार देती है मेरे हर ख़्वाब को
कोसता हूँ ख़ुद को मैं तो दर्द दिल को होता है
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