मेरा किसी से कोई भी रिश्ता नहीं
मतलब जो भी मेरा है वो मेरा नहीं
ये खुशियां आख़िर में तो ग़म ही देती हैं
टेबल पे वो कांटा है गुलदस्ता नहीं
कैसे हो पाए उनके घर बरकत भला
जिनके भी घर में कोई इक बिटिया नहीं
उसने कहा तुम कौन लगते हो मिरे?
और मैं था जो इस बात को समझा नहीं
मुझसे जुदा होना भी मर्ज़ी है तिरी
ये रोना मेरा है तिरा रोना नहीं
घर से निकाला जैसे माँ और बाप को
माँ कहती है तू तो मिरा बेटा नहीं
मेरी कही गज़लें ये सब वो बातें हैं
जिन बातों को तुमने कभी सुनना नहीं
लौकी की सब्जी कितनी अच्छी लगती है
ये बीवी का डर है तिरा कहना नहीं
वो मेरे हंसने को खुशी कह देता है
हां है वो सच्चा, फिर भी वो सच्चा नहीं
इस ईद पर सब दोस्तों ने मिलना है
और बक्से में इक भी नया कुर्ता नहीं
जन्नत तलाशी उसने मस्जिद में बहुत
इक बार उसने माँ को पर देखा नहीं
वो लोग जिनके चार-सू है रोशनी
और उनकी चौखट पे कोई दीया नहीं
इक दिन ये कहना तुम अजी सुनते हो क्या?
ये सिर्फ़ तेरा हक़ है और सबका नहीं
वो कल मिरा घर देखने आएगी और
रहने को मेरे पास इक कमरा नहीं
दौलत है और ये शोहरत फिर भी मैं एक
निर्धन रहा जो पास मेरी माँ नहीं
सब रोना रो देते हैं सबके सामने
रोना ये है रोना कभी दिखता नहीं
मेरी पतंगो ने हमेशा कटना है
इक डोर काटे मेरा वो धागा नहीं
तेरे जुदा होने पर अब ये हाल है
कोई खुशी हो चाहे मैं हंसता नहीं
नीरज भले शरबत बनाओ कितने भी
उसने यही कहना है ये मीठा नहीं
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