पहला रिश्ता-ए-मोहब्बत और फिर हम-साएगी
लगता है इस आशिक़ी में जान मेरी जाएगी
लड़कियों को क्या अदाएँ ही दिखानी हैं फ़क़त
मसअला लड़कों का है इन पर मुसीबत आएगी
मैं सिखाऊँगा मोहब्बत बा-वफ़ा करना उन्हें
जब मिरे बच्चों पे कम-सिन से जवानी छाएगी
मैं वो लड़की भूल भी जाऊँ तो इस से होगा क्या
फिर कोई लड़की मिरा दिल तोड़ने आ जाएगी
बे-वफ़ाई करना इक दस्तूर बनता जा रहा
कोई तो लड़की मोहब्बत में नया-पन लाएगी
मैं ज़ियादा से ज़ियादा जान दे पाऊँगा बस
अब ख़ुदा जाने उसे कैसी मोहब्बत भाएगी
ये ज़रूरी तो नहीं हर चीज़ मिल जाए हमें
ख़ुद-कुशी करने से केवल जान ज़ाया जाएगी
मैं तो सारी ज़िंदगी झाँसी में रुक जाऊँ 'मिलन'
पर वो इसकिल छोड़ कर झाँसी नहीं आ पाएगी
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