था कोई मसअला तो फिर बताना चाहिए था

  - Milan Gautam

था कोई मसअला तो फिर बताना चाहिए था
जुदाई का सबब होंठों पे लाना चाहिए था

वही शोला हूँ मैं जिस से मिरा ही घर जला है
तुम्हें अलगाव से पहले बुझाना चाहिए था

तिरे दिल को दुखाना तो मिरा मक़सद नहीं था
मुझे बस गुफ़्तुगू का इक बहाना चाहिए था

फ़क़त आवारगी में कर दी है वो उम्र ज़ाया
हमें जिस उम्र में पैसा कमाना चाहिए था

हमारे बीच यारी जैसा कुछ था ही नहीं हाँ
तअश्शुक़ था मगर तुम को निभाना चाहिए था

नशा करने में कोई भी कसर छोड़ी नहीं है
मुझे अब तक तो उस को भूल जाना चाहिए था

ये जग-ज़ाहिर है मुझ को इश्क़ है तुम से 'मिलन' फिर
तुम्हें भी मुझ से अपना दिल लगाना चाहिए था

  - Milan Gautam

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