दिल के कोने-कोने में बे-ताबी है

  - Prashant Prakhar

दिल के कोने-कोने में बे-ताबी है
शायद उनके ख़्वाबों में हमराही है

दस्तक दो चाहे लाख मिन्नतें कर लो
रूह जिसे सुन सकती है ख़ामोशी है

तकिए के नीचे उसका ख़त सोया है
मेरे बाजू में सोई बेचैनी है

देखो थककर लौट रहा है दफ़्तर से
उसकी हल्की जेबों में मायूसी है

इन बेगानी राहों पर चलते जाना
आवारा-गर्दी भी इक फ़नकारी है

  - Prashant Prakhar

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