अब भी मेरे इश्क़ का उसमें उनवान होता होगा
उसकी बातों में मेरा लहजा मेहमान होता होगा
कहीं तो होते होंगे इन काफ़िरों के सज्दे मंज़ूर
कहीं पे तो कर्मों का कोई भगवान होता होगा
ये शहर भर की आँखें लगी दुआओं में है जिसके
उसके लिए ख़ुदा ख़ुद भी तो परेशान होता होगा
है ख़ुश हाल नहीं निकला नगरी से इश्क़ की कोई
तुमको फिर भी लगता है इश्क़ आसान होता होगा
जो लोग देखते हैं बस आँखों से ही ये दुनिया
उनको लग सकता है शजर भी बेजान होता होगा
क़ैद रहा महलों में ताउम्र जो परिंदा चेतन
उसे हवा का इक झोंका भी तूफ़ान होता होगा
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