कभी वफ़ा रहे उसमें कभी गुमान रहे - Chetan Verma

कभी वफ़ा रहे उसमें कभी गुमान रहे
मिरा तो मेरे दिल-ए-यार में जहान रहे

दबे हैं फूल कई उसके सुर्ख़ गालों पर
कबूद आँखों में महबूस आसमान रहे

तू जो न हो गुलों की ख़ुशबू ज़ेर-ए-ख़ाक सनम
तू जो न हो फ़म-ए-एहसास बे-ज़बान रहे

पड़ा रहे ये बदन दोश-ए-नाज़नीं में मेरा
निहाल उसकी रिआयत में मेरी जान रहे

सदा उठे जो बग़ावत में नफ़रतों के कहीं
ख़ुदाया ऐसी सदा की अज़ल उड़ान रहे

लहू बहे जो किसी का किसी के हाथों यहाँ
बहे न नाम-ए-मोहब्बत पे इतना ध्यान रहे

- Chetan Verma
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