हुए आँसू कितने ही बर्बाद समझो
गई थूकी कितनी ही फ़रियाद समझो
वो जितनी मोहब्बत भी अंदर थी मेरे
वो सब हो गईं अब से आज़ाद समझो
मोहब्बत नहीं बस की है बात सबके
गए क़ब्रों तक इसके इफ़्साद समझो
है दिल टूट कर बिखरा सीने में जिसका
मोहब्बत की उसने ही ईजाद समझो
यहाँ बोल बैठे हैं सब बोल सारे
जो ख़ामोशी बोले तो उस्ताद समझो
रहो हावी ही शामों पर आप मेरी
छलकते हुए जामों को याद समझो
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