कैसे तिरे बग़ैर गुज़ारा है साल को - Saif Dehlvi

कैसे तिरे बग़ैर गुज़ारा है साल को
अल्लाह जानता है मिरे दिल के हाल को

बच्चे हैं कामकाज में मसरूफ़ इस क़दर
नौकर लगा दिए हैं मिरी देखभाल को

शाइर मैं आपका हूँ सो अपनी ग़ज़ल में मैं
ज़िन्दा रखूगाँ आपके हुस्न ओ जमाल को

अच्छा हुआ है ये कि मुझे आप मिल गए
मैं ढूँढ भी रहा था किसी हम ख़याल को

वो हाल कर दिया है मोहब्बत ने 'सैफ़' का
होने लगा मलाल भी लफ़्ज़-ए-मलाल को

- Saif Dehlvi
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