वक़्त ने कैसा किया मेरा ख़सारा ऐ दिल - Saif Dehlvi

वक़्त ने कैसा किया मेरा ख़सारा ऐ दिल
मैं जिसे जीत चुका था उसे हारा ऐ दिल

मैंने रो रो के बहुत उस को पुकारा ऐ दिल
उस ने देखा ही नहीं मुड़ के दोबारा ऐ दिल

बे वफ़ाई का नहीं है ये इशारा ऐ दिल
हो गया होगा वो मजबूर बेचारा ऐ दिल

अब नहीं कोई ज़माने में हमारा ऐ दिल
और तू भी नहीं देता है सहारा ऐ दिल

ये अलग बात कि उसने नहीं माना लेकिन
आज भी है वो मुझे जान से प्यारा ऐ दिल

उसकी तस्वीर को सीने से लगा कर रखना
दिल लगाना न किसी से भी दोबारा ऐ दिल

मैंने जिस तरह गुज़ारी है गुज़ारी लेकिन
उसने किस तरह किया होगा गुज़ारा ऐ दिल

दिल दुखाता है मगर फिर भी सुकून ए दिल है
भूल जाने का उसे ढूॅंढ़ न चारा ऐ दिल

अब किसी रोज़ समन्दर में उतरना है मुझे
चैन देता नहीं अब मुझ को किनारा ऐ दिल

तू ने देखा ही नहीं होगा ज़माने में कभी
सैफ़ जैसा कोई हालात का मारा ऐ दिल

- Saif Dehlvi
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