दिल बाँध के रखा है रखा है फ़लक पे सर
मंज़िल तो दिख रही है मगर खो गया है घर
कुछ तो चलो सँभल के न मसलो किसी का दिल
मुश्किल से दिल वो इश्क़ में करता है तय सफ़र
माना कि ज़िंदगी ने किए हैं बहुत सितम
रखते हैं हाथ हाथ में बदली न ये नज़र
है साथ तीरगी में भी माँ की दुआ का रंग
चाहत न चाँद की न किसी बात का है डर
हम अंजुमन में आप की आना तो छोड़ दें
घर का पता जो आपका मालूम हो अगर
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