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जिस्म बूढ़ा हुआ तो नज़र झुक गईसाँस भारी हुई चाल भी रुक गईतू तो रखता था ख़ुद को बहुत प्यार सेउम्र ढलने से रौनक़ कहाँ फुक गई
As you were reading Shayari by Sanjay Bhat
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