तवाफ़-ए-गुल में हैं मसरूफ़ तितलियाँ देखो
निगाह-ए-लुत्फ़ से मंज़र ये बाग़बाँ देखो
सितम की दुनिया में चलती हैं आँधियाँ देखो
धुआँ धुआँ हुई जाती हैं बस्तियाँ देखो
अमीर-ए-शहर महल से निकल के आओ ज़रा
ग़रीब लोगों की आँखों से झुग्गियाँ देखो
गुलाब लाए हैं हम लोग अपने हाथों में
वो अपने हाथों में लाए हैं बर्छियाँ देखो
फ़िराक़-ए-यार में तन्हा नहीं मैं गिर्या कुनाँ
शरीक ग़म में हमारे हैं आसमाँ देखो
हज़ारों साल से है रस्म आज तक जारी
जला दी जाती हैं दुनिया में बेटियाँ देखो
जहाँ पे बिछड़े थे कॉलिज में एक दूजे से
हैं अश्क़बार अभी तक वो सीढ़ियाँ देखो
सदाएँ देती हैं पायल खनक के पैरों की
कलाइयों की खनकती हैं चूड़ियाँ देखो
चमन में आज सुबह आ के गुल की शिद्दत से
लबों से चूमी हैं भँवरे ने पत्तियाँ देखो
जो हमसे बिछड़ा था सर्दी में वो नहीं आया
पलट के आ गई वापस से सर्दियाँ देखो
हुआ है शाख़ पे जिस रोज़ से नुज़ूल-ए-समर
शजर की हो गईं ख़म सारी डालियाँ देखो
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