अड़चन सी ये डाले हैं तेरी दीद में साले
कम-बख़्त से बालों को तू चेहरे से हटा ले
मदहोश ही फिरता है वो ता-उम्र यहाँ पर
इक बार को तुझसे यूँ ही नज़रें जो मिला ले
बिल्कुल ही फ़राग़त से यहाँ आज हूँ बैठा
जल्वे जो दिखाने हैं सभी आज दिखा ले
गर मुझको मिटा कर ही तुझे चैन मिले तो
फिर ठीक है मैं कुछ न कहूँगा तू मिटा ले
As you were reading Shayari by Shivam Yadav
our suggestion based on Shivam Yadav
As you were reading undefined Shayari