तुम जैसे ना हो पर हरगिज़ बेकार नही

  - Uday sharma

तुम जैसे ना हो पर हरगिज़ बेकार नही
जो काम सुई कर सकती है तलवार नही

हाँ! गलती की माफी दे देना जायज़ है
पर तेरी ग़लती माफ़ी की हक़दार नही

इक बात को कहने के दो ढंग नही आते ?
तो फिर तुम दुनिया की खातिर तैयार नही

तुम चाहे जितने भी मक़बूल रहे हो पर
तुम बस मक़बूल रहे यारा खुद्दार नही

जिन लोगों ने मुश्किल में हाथ छुड़ाया है
वो मेरी खुशियों के भी हिस्सेदार नही

  - Uday sharma

More by Uday sharma

As you were reading Shayari by Uday sharma

Similar Writers

our suggestion based on Uday sharma

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari