तुम जैसे ना हो पर हरगिज़ बेकार नही
जो काम सुई कर सकती है तलवार नही
हाँ! गलती की माफी दे देना जायज़ है
पर तेरी ग़लती माफ़ी की हक़दार नही
इक बात को कहने के दो ढंग नही आते ?
तो फिर तुम दुनिया की खातिर तैयार नही
तुम चाहे जितने भी मक़बूल रहे हो पर
तुम बस मक़बूल रहे यारा खुद्दार नही
जिन लोगों ने मुश्किल में हाथ छुड़ाया है
वो मेरी खुशियों के भी हिस्सेदार नही
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