मैंने दिल की बातें बोली, फेंका कोई जाल नहीं
उसने मेरी आँखें देखी, पर आँखों का हाल नहीं
मेरे सपनों का पूरा होना भी हो जायज़ कैसे?
मैंने उसकी ख़ूबी देखी पर ख़ुदके आमाल नही
ख़ुदको मेरा कर या ना कर, इसमे मर्ज़ी तेरी है
जो भी कहना सीधा कह दे, लेकिन हमको टाल नही
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